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अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥ नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा। अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥ काम आये जो हर संकट में नाम वही है प्यारा, तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa

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